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लेखनी प्रतियोगिता -तूफान 12-Oct-2023

तूफान

उनकी आंखों में समुद्र बसा हैं 
उस समुद्र में ज्वार भाटा कि लहरें उठ रही हैं

आज तूफान पैर पसार रहा हैं
सायं सायं करती पवन डरा रही हैं

जीवन कि नाव उसमें हिचकोले खा रही हैं
लगता है प्यार सागर में समाया जा गया हैं 

प्यारा घर बसने से पहले उजड़ रहा हैं 
दिल इस तूफान में मिलने से पहले टूट रहा हैं

आए किश्ती को इस भंवर से बाहर निकाले
इस जिन्दगी को सुनहरे सपनों से  सजाएं

मन में उठे तूफान को शान्ति से शान्त करे
आओ सुनहरे सपनों को फिर से सजाए

सभी मुश्किलों पर विजय पाए
आओ आकांक्षा के घर को पुनः सजाए।।

✍️ विजय पोखरणा "यस"
💐💐🙏 HBU EXTN, 
AJMER (Raj)
9530399703         
Director of Modulus Academy
Committed towards excellent education and Consultant for Higher study in Abroad at renowned foreign universities and colleges 🙏💐💐

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8 Comments

Arti khamborkar

13-Oct-2023 05:52 AM

v nice

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VIJAY POKHARNA "यस"

13-Oct-2023 01:30 PM

Thanks 🙏

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Abhinav ji

13-Oct-2023 08:56 AM

Nice 👍

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VIJAY POKHARNA "यस"

13-Oct-2023 01:29 PM

Thanks 🙏

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Punam verma

13-Oct-2023 08:28 AM

Very nice👍

Reply

VIJAY POKHARNA "यस"

13-Oct-2023 01:29 PM

Thanks 🙏

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